कहइ रीछपति सुनु हनुमाना चौपाई –
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना॥
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।।
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना – हिन्दी अर्थ:
यह दोहा/चौपाई सुंदरकाण्ड (रामचरितमानस, गोस्वामी तुलसीदास) से है। इसका हिन्दी भावार्थ इस प्रकार है:
रीछों के राजा (जाम्बवन्त) ने कहा – सुनो हनुमान! हे पराक्रमी, तुम मौन क्यों बैठे हो?
हे पवनपुत्र! तुम्हारा बल पवन के समान अपार है। तुम बुद्धि, विवेक और ज्ञान के भंडार हो।
हे पुत्र! इस संसार में ऐसा कौन सा कठिन काम है, जो तुम्हारे रहते न हो सके?
सार:
यह प्रसंग उस समय का है, जब वनवास काल में जब सीता का हरण हो गया था और जब समुद्र लाँघकर सीता जी की खोज करने का प्रश्न आया और सबको समझ नहीं आ रहा था कि कौन जाएगा। उस समय हनुमान को अपनी शक्ति का एहसास नहीं था तब रीछों के राजा जाम्बवन्तजी उस समय हनुमान जी को उनकी शक्ति और सामर्थ्य का स्मरण कराते हैं।