नवरात्रि

 

नवरात्र क्यों मनाया जाता है

नवरात्रि संस्कृत शब्द है जो कि नव + रात्रि से मिलकर बना है जिसका मतलब नौ रातें होता है. नवरात्रि भारत में हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है. इन नौ रातों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है. नवरात्र को मां दुर्गा का पर्व कहा जाता है। साल में दो बार नवरात्र मनाया जाता है, चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। इस दौरान घर घर नौ दिनों तक मातारानी की विधि विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि नवरात्र पर माता रानी की सच्चे मन से पूजा की जाए तो मुश्किल से मुश्किल काम भी बन जाते हैं।

हिंदी कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार पौष, चैत्र, शरद एवं आषाढ़ माह में आती है और चारों माहों में प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि मानने का नियम है. हालांकि मुख्य रूप से सिर्फ चैत्र एवं शरद माह की नवरात्रि को मनाया जाता है.

धार्मिक मान्यता

 मान्यता है कि महिषासुर ने कठोर तपस्‍या करके देवताओं से अजेय होने का वरदान ले लिया था। इसके बाद महिषासुर ने अपनी शक्तियों का गलत उपयोग किया और देवताओं को भी परेशान करना शुरू कर दिया। इससे क्रोधित होकर देवताओं ने दुर्गा मां की रचना की और उन्हें तमाम अस्त्र शस्त्र दिए। इसके बाद शक्ति स्वरूप मां दुर्गा का महिषासुर से नौ दिनों तक संग्राम छिड़ा और आखिरकार महिषासुर का वध हुआ। इसलिए नवरात्र में मातारानी के शक्तिस्वरूप की पूजा होती है और नौवें दिन नौ कन्याओं को मां का रूप मानकर पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान राम ने भी रावण को मारने के लिए नौ दिनों तक माता का व्रत व पूजन किया था और दसवें दिन रावण का वध किया था। तभी से दशहरा से पहले नौ दिनों को माता को समर्पित कर शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि के व्रत कैसे किये जाते है

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने के विधान है और साथ ही इन नौ दिन में उपवास भी रखा जाता है। नवरात्रि व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इन दिनों व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जााती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर पूजा- अर्चना करने से बहुत अधिक लाभ होता है। धर्मग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है,जो जातक को ख़ुशी,शक्ति और ज्ञान प्रदान करती हैं। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। कलश स्थापना,मां दुर्गा के श्रृंगार के अलावा इन नौ दिनों में अलग-अलग रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने का एक खास महत्व और कुछ नियम  होते हैं। जिनका पालन करने पर मां अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा होने का आशीर्वाद देती हैं।

साल में कुल मिलाकर 4 बार नवरात्रि

पूरे साल में कुल मिलाकर 4 बार नवरात्रि का पर्व आता है। चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि। व्रत रखने का अधिक महत्व चैत्र और शारदीय नवरात्रि का होता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में व्रत करने मां का आशिर्वाद मिलता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

हिन्दू पंचांग के नए वर्ष का आरंभ

चैत्र नवरात्रि से हिन्दू पंचांग का नया वर्ष का आरंभ हो जाता है।

गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना करने वालों के लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है। गुफ्त नवरात्रि में तांत्रिकों द्वारा काली मां की साधना की जाती है। साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि पड़ती हैं।

मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना

नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। ये नौ स्वरूप इस प्रकार है…