माँ कूष्मांडा

 

देवी कुष्मांडा मां दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। इस दिन दुर्गा मां के चौथे रूप कूष्मांडा की आराधना की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी कुष्मांडा ने ही इस सृष्टि की रचना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब देवी कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से इस सृष्टि की रचना की थी। माता को नारंगी रंग अत्यंत प्रिय है, इस दिन माता को फल फूल अर्पित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करने से रोग दोष से मुक्ति मिलती है औऱ सभी कष्टों का निवारण होता है। देवी कूष्मांडा प्रकृति की भी देवी हैं इसलिए इनकी पूजा में क्रीम, पीला, हरा और भूरे रंग के वस्त्र पहनने से पूजा के फल में वृद्धि होगी।

मां कुष्मांडा पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्।।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे।।