देह सिवा बरु मोहि इहै

देह शिवा बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कभुं न टरूं ॥
न डरौं अरि सौं जब जाय लड़ौं, निश्चय कर अपनी जीत करौं ॥
अरु सिख हों आपने ही मन कौ इह लालच हउ गुन तउ उचरों ॥
जब आव की अउध निदान बनै अति ही रन मै तब जूझ मरों ॥

देह सिवा बरु मोहि इहै अर्थ –

हे शिवा (शिव की शक्ति) मुझे यह वर दें कि मैं शुभ कर्मों को करने से कभी भी पीछे न हटूँ।
जब मैं युद्ध करने जाऊँ तो शत्रु से न डरूँ और युद्ध में अपनी जीत पक्की करूँ।
और मैं अपने मन को यह सिखा सकूं कि वह इस बात का लालच करे कि आपके गुणों का बखान करता रहूँ।
जब अन्तिम समय आये तब मैं रणक्षेत्र में युद्ध करते हुए मरूँ।

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